राजस्थान में बुश टायफस या स्क्रब टायफस के मामलों में लगातार बढोतारी देखने को मिल रही है। प्रदेश में अभी तक इस बीमारी से सबसे अधिक मामले उदयपुर जयपुर और झालावाड में देखने को मिले है। Scrub typhus बीमारी से अभी तक प्रदेश में चार मरीजों की मौत भी हो चुकी है जिसके बाद चिकित्सा विभाग के लिए यह बीमारी परेशानी का सबब बनती जा रही है। इस बीमारी की चपेट में आने के बाद मरीजों में मल्टी आर्गन फेल्योर के मामले देखने को मिल रहे है जो मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रहे है। चिकित्सकों की मानें तो ये स्क्रब टाइफस फीवर है. इसे बुश टाइफस भी कहते हैं. ये बीमारी बैक्टीरिया से संक्रमित पिस्सु के काटने पर फैलती है. इसके बाद स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है. शुरुआत में किसान और बागवान इस बीमारी का शिकार हुए, लेकिन अब ये सभी में फैल रहा है. प्रदेश की बात करें तो बीते 11 महीनों में अभी तक 2443 मरीज इस बीमारी की चपेट में आ चुके है जबकि चार मरीजों की मौत इस बीमारी से हो चुकी है।
चिकित्सकों का कहना है कि स्क्रब टाइफस ओरेंशिया सुसुगेमोसी नामक बैक्टीरिया के कारण फैलती है। लोगों में यह संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से फैलता है। इसे बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है। यह एक वेक्टर जनित बीमारी है। यह समय के साथ सेंट्रल नर्वस सिस्टम, कार्डियो वेस्कुलर सिस्टम, गुर्दे, सांस से जुड़ी और गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम को प्रभावित करता है। कई मामलों में मल्टी ऑर्गन फेल्योर से मरीज मौत के मुंह में चला जाता है।
इस बीमारी से संक्रमित होने के बाद मरीज को तेज बुखार आने लगता है। इसके साथ ही मरीज में सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द व कमजोरी के लक्षण भी दिखाई देते है। आमतौर पर इस बीमारी से पीड़ित 40-50 फीसदी लोगों में कीड़े के काटने का निशान दिखता है। निशान गोल और ब्लैक मार्क होता है। आधे से अधिक लोगों में निशान दिखता भी नहीं है। गंभीर स्थिति में प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगती है और यदि मरीज को समय पर इलाज नहीं मिलता तो यह निमोनिया का रूप धारण कर लेता है।