अशोक गहलोत ने चुनाव से पहले ही जनता को 7 बड़ी योजनाएं दे कर दुबारा प्रदेश की सत्ता में लौटने की कोशिश की है। प्रदेश में आगामी दिनों में हो रहे विधानसभा चुनावों में पेपर लीक बड़ा मुद्दा बनेगा। क्योंकि कांग्रेस सरकार में पेपर लीक का मामला देशभर में चर्चा का विषय बन चुका है।
प्रदेश में पिछले साढ़े चार साल में हुए लगातार हुए पेपर लीक की घटनाओं ने सरकार की जमकर किरकिरी की है। हालांकि बतौर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डैमेज कंट्रोल की भरपूर कोशिश की, अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए है, पेपर लीक मामले में फांसी तक देने का कानून बनाया, लेकिन तब तक तीर कमान से निकल चुका था। राज्य से निकलकर पेपर लीक देशभर में राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है।
Read More >>> महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता जाएगी या रहेगी ?
सबसे ज्यादा संख्या वाले युवा वोटर्स की नाराजगी कांग्रेस सरकार के लिए चुनाव में बड़ा नुकसान करेगी। युवाओं में इसको लेकर छाए आक्रोश को शांत करना गहलोत के लिए टेढ़ी खीर होगा।
दूसरी ओर बात करे थर्ड ग्रेड टीचर्स के ट्रांसफर की तो सीएम अशोक गहलोत के लिए ये मुद्दा भी चुनावी दंगल में भारी पड़ेगा। 2 लाख से ज्यादा थर्ड ग्रेड टीचर्स ट्रांसफर की उम्मीद लगाए बैठे रहे लेकिन हाथ कुछ नही लगा। थर्ड ग्रेड टीचर्स की नाराजगी गहलोत सरकार की हार का बहुत बड़ा कारण साबित होगी, क्योंकि थर्ड ग्रेड टीचर्स ने खुलकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। थर्ड ग्रेड टीचर्स कोरोना के दौरान तत्कालीन शिक्षा मंत्री डोटासरा के फैसले के खिलाफ और लामबंद हो गए थे। चुनाव के इंतजार में बैठे टीचर्स इस बार वोट से सरकार को चोट देने के मूड में दिखाई दे रहे हैं।
Also Read >>> क्या कतर पाकिस्तान के नक़्शे कदम पर चल रहा है ?
टीचर्स और स्टूडेंट्स की नाराजगी अब विपक्षी पार्टी बीजेपी के लिए भी बड़ा मुद्दा बन गया।