भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंद और नार्वे के मैग्नस कालर्सन के बीच चेस वर्ल्ड कप 2023 के खिताबी मुकाबले में मंगलवार को हुए पहले गेम में 35 चालों के बाद ड्रा पर खत्म होने के बाद आज वे दूसरे मुकाबले में फिर से आमने-सामने मुखातिब होंगे। यह खिताबी मुकाबला अजरबैज़ान के बाकू में खेला जा रहा है। 18 साल के प्रज्ञानानंद के पास देश के लिए एक शानदार इतिहास रचने का सुनहरा मौका है। वे 21 साल बाद भारत को फिडे वर्ल्ड कप जीता सकते हैं।
फाइनल मुकाबले में उनका सामना विश्व के नंबर एक प्लेयर कालर्सन से हो रहा है। वहीं इससे पहले भारत ने आखिरी बार साल 2002 में शतरंज विश्वकप अपने नाम किया था। यह कारनामा करने वाले चैंपियन विश्वनाथन आनंद थे।
इससे पहले प्रज्ञानानंद ने सेमीफाइनल मुकाबले में रोमांचक जीत हासिल की थी। उन्होंने टाईब्रेक में अमेरिका के फाबियानो करूआना को 3.5-2.5 से मात दी। दिलचस्प बात ये है कि करूआना दुनिया के नंबर 3 खिलाड़ी हैं। वहीं प्रज्ञानानंद ने दो मैचों की क्लासिकल सीरीज 1-1 से बराबरी पर समाप्त होने के बाद अमेरिकी ग्रैंडमास्टर को पछाड़ा। आपको बता दें कि प्रज्ञानानंद वर्ल्ड कप फाइनल में एंट्री करने वाले दूसरे भारतीय हैं। उन्होंने कंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है। वे इस टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करने वाले तीसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं।
प्रज्ञानानंद के करियर की बात करें तो उन्होंने अब तक कुल 1789 मैच खेले हैं, जिसमें से उन्होंने 894 में जीत दर्ज की। प्रज्ञानानंद के 504 गेम ड्रॉ रहे और 391 में हार का सामना करना पड़ा। वहीं दूसरी तरफ, पांच बार के विश्व चैंपियन कार्लसन ने कुल 1820 मैच खेले हैं। उन्होंने 785 गेम जीते और 836 बोर्ड ड्रॉ किए, जबकि उन्हें 199 मैचों में हार मिली है।
वहीं राष्ट्रीय कोच ग्रैंडमास्टर एम श्याम सुंदर ने प्रज्ञानानंद के बारे में कहा कि दबाव की स्थिति में सहजता से बचाव करना और अपने प्रतिद्वंद्वी की कमजोरी को तुरंत भांप कर अपने खेल में बदलाव करना उसकी सबसे बड़ी क्षमता है। उन्होंने कहा, "उनकी सबसे बड़ी ताकतों में से एक सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के खिलाफ भी मुश्किल स्थिति में बचाव करने की उनकी क्षमता है। उनकी गणना करने की क्षमता उत्कृष्ट है और वह आत्मविश्वास के साथ बेहतर स्थिति को जीत में बदल सकता है। "
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