जयपुर ( पंकज राम पांचाल ) रविवार को खेल मंत्रालय ने अपना दांव खेलते हुए... कुश्ती संघ के नए अध्यक्ष संजय सिंह को चारों खाने चित कर दिया....तो वहीं नवनिर्वाचित कमेटी को भी रद्द कर दिया है....इतना ही नहीं फाउल लगाते हुए सभी नए नियमों और फैसलों पर आगामी आदेश तक के लिए रोक लगा दी है....अब देखना यह है कि कुछ दिन पहले जिन्होंने कहा था कि...."दबदबा तो है दबदबा तो रहेगा"…अब किसका दबदबा रहता है...और किसका नहीं यह तो वक्त ही बताएगा,....लेकिन सरकार के इस फैसले से जहां एक ओर पहलवानों को कुछ राहत मिली है....या कहे कि उनके जख्मों पर कितना मरहम लगा है.....ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा...चलिए अब आपको विस्तार से बताते है कि ये पूरा मसला आखिर है क्या....?
18 जनवरी 2023 को भारत की राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर जब एक साथ पहलवान धरने पर बैठे......इस धरने में पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगट, बजरंग पूनिया सहित अन्य पहलवान मौजूद थे....तो सभी देशवासी एक बार तो चौंक गए....जो खिलाड़ी अखाड़े में नजर आते है......वो आखिर किस कारण से यह सब करने को मजबूर हुए.....लेकिन जब उन्होंने इस सच्चाई से पर्दा उठाया तो.....हर शख्स की आंखें शर्म से झुक गई.....क्योंकि भारतीय कुश्ती संघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर 19 महिला पहलवानों ने यौन शोषण....और डराने-धमकाने के आरोप....जिसमें देश के स्वर्ण पदक लाने वाली महिला पहलवान शामिल थी....सभी की एक ही मांग थी कि....बृजभूषण शरण सिंह को निलंबित किया जाए.....और उनके खिलाफ मामला दर्ज कर कानूनी सजा मिले.....जिसके बाद खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने 21 जनवरी को कार्रवाई का आश्वासन देकर पहलवानों का धरना समाप्त करवाया…
हालांकि 3 माह बाद ही यानी 18 अप्रैल को एक बार फिर असंतुष्ट पहलवान सड़कों पर आ गए.....इस बार भी न्याय की मांग करने लगे....इस बार पहलवानों ने न्याय के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.....भरी सर्दी की रातों में इनके टैंट को उखाड़ दिया गया....बिजली और पानी तक काट दी गई....लेकिन इतने पर भी ये खिलाड़ी अन्याय के खिलाफ लड़ते ही नजर आए....इतना ही नहीं अपने मैडलों को गंगा में बहाने पहुंचे.....यहां पर पुलिस से हुई झड़प में पहलवानों को चोटें भी आई....और उन पर मुकदमा भी दर्ज हुआ…ये घटनाक्रम चलता रहा…और बृजभूषण का दबदबा… बृजभूषण पर मुकदमा दर्ज तक नहीं हुआ…ऐसा दबदबा था बृजभूषण का…
21 दिसंबर को हुए भारतीय कुश्ती महासंघ चुनाव में WFI के पूर्व अध्यक्ष और यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के समर्थित उम्मीदवारों ने 15 में से 13 पदों पर जीत हासिल की….और बृजभूषण के सहयोगी संजय सिंह को नए अध्यक्ष के रूप में चुना गया.... और बृजभूषण पर यौन शोषण मामले की गवाह, कॉमनवेल्थ गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट और आंदोलनरत पहलवानों की समर्थित उम्मीदवार अनीता शेरोन को हार मिली…
संजय सिंह की इस जीत के बाद WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के बेटे और गोंडा से बीजेपी विधायक प्रतीक भूषण सिंह की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई.... जिसमें MLA प्रतीक भूषण सिंह के हाथ में एक पोस्टर लगा हुआ है जिस पर लिखा है...."दबदबा तो है दबदबा तो रहेगा...... यह तो भगवान ने दे रखा है.....वहीं इस पोस्टर पर एक तरफ WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह"....और दूसरी तरफ WFI के नए अध्यक्ष संजय सिंह का फोटो लगा हुआ है..... इसके साथ ही प्रतीक भूषण ने एक वीडियो भी शेयर किया.... इस वीडियो में साधु-संतों से घिरे बृजभूषण शरण सिंह हैं जो कह रहे हैं कि..... दबदबा तो है दबदबा तो रहेगा....
इसी दौरान बृजभूषण शरण सिंह का एक ओर बयान सामने आया कि....पहलवानों ने राजनीति को चुना है… 11 महीने के लिए हमारी फेडरेशन पर ग्रहण लग गया था…आपको बता दें की जीत के बाद संजय सिंह से ज्यादा सम्मान बृजभूषण शरण सिंह को मिला…मालाऐं भी बृजभूषण को ही पहनाई गई… इससे साबित हुआ कि....ये जीत बृजभूषण शरण सिंह के दबदबे की जीत थी....
WFI के चुनाव परिणाम से असंतुष्ट, न्याय की मांग करते, शोषित, देश के अभिमान कहे जाने वाले पहलवानों का साहस डोल गया… चुनाव के कुछ देर बाद ही बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली रियो ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक ने संजय सिंह के चुने जाने के विरोध में 21 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर.....टेबल पर जूते रख बिलखते हुए....कुश्ती छोड़ने की घोषणा कर दी…वहीं इसके अगले दिन यानि 22 दिसंबर को बजरंग पूनिया ने पद्मश्री पुरस्कार पीएम आवास के बाहर फुटपाथ पर रख लौटाने की घोषण कर दी…
बजरंग ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर लिखा....मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूँ..... कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है.....इस पत्र में लिखा था....आपको पता होगा कि इसी साल जनवरी महीने में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ पर काबिज बृजभूषण सिंह पर सेक्सुअल हैरेसमेंट के गंभीर आरोप लगाए थे..... महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया..... तो, मैं भी उसमें शामिल हो गया था...जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी..... जो अप्रैल तक आते आते 7 रह गई... इन तीन महीनों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण सिंह ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया था.... आंदोलन 40 दिन चला.... इन 40 दिनों में एक महिला पहलवान और पीछे हट गईं.... हम सब पर बहुत दबाव आ रहा था.....इस खत में पूनिया ने आगे लिखा....इस दौरान हमें देशद्रोही कहा गया....यौन शोषण का आरोपी सरेआम दोबारा कुश्ती का प्रबंधन करने वाली इकाई पर अपना दबदबा होने का दावा कर रहा था.....उन्होंने आगे लिखा.....जब किसी कार्यक्रम में जाते थे तो मंच संचालक हमें पद्मश्री, खेल रत्न और अर्जुन अवार्डी पहलवान बताकर हमारा परिचय करवाता था.... तो लोग बड़े चाव से तालियां पीटते थे....अब कोई ऐसे बुलाएगा तो मुझे घिन्न आएगी..... क्योंकि, इतने सम्मान होने के बावजूद एक सम्मानित जीवन जो हर महिला पहलवान जीना चाहती है....उससे उन्हें वंचित कर दिया गया....मुझे ईश्वर में पूरा विश्वास है, उनके घर देर है अंधेर नहीं.....अन्याय पर एक दिन न्याय की जीत जरूर होगी...
23 दिसम्बर को ‘गूँगा पहलवान’ नाम से मशहूर पांच बार के डेफ ओलम्पिक चैम्पियन वीरेंद्र सिंह ने भी पद्म श्री लौटाने की बात कही…और ये सब हो रहा था ब्रजभूषण शरण सिंह के दबदबे के चलते...
24 दिसम्बर को बृजभूषण शरण सिंह के दबदबे पर खेल मंत्रालय ने पलीत लगा दी…खेल मंत्रालय ने नव गठित WFI को भंग कर दिया…खेल मंत्रालय ने आदेश में कहा....भारतीय कुश्ती संघ के नवनिर्वाचित कार्यकारी निकाय द्वारा लिए गए फैसले पूरी तरह से नियमों के खिलाफ हैं....ये फैसले भारतीय कुश्ती संघ के प्रावधानों और नेशनल स्पोर्ट्स डवलेपमेंट कोड का उल्लंघन है...खेल मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अब IOA यानी भारतीय ओलंपिक संघ ने भी WFI पर एक्शन लिया है… अगले 48 घंटे में WFI पर नई एडहॉक कमेटी बनाएगा....
अब अगर बात कि जाए....न्याय की तो वो हमारे देश की अदालतों से इतनी जल्दी कहां मिलता है....यहां तो मिलती है....बस तारीख पर तारीख....तारीख पर तारीख....बड़े बुजुर्गों की कहावत याद आती है....कोर्ट के चक्कर लगाते-लगाते जूतियां घिस जाती है....और आखिर में फैसला आता है एक पीढ़ी के गुजरने के बाद....यहां पर अगर बात करें जांच समितियों की तो.....सालों पुराने कई घोटालों की जांच अभी तक भी जारी है.....लेकिन फिर लोगों को इस देश के न्यायालय और सरकारों पर पूरा भरोसा है....कि न्याय तो मिलेगा ही....सच्चाई का दबदबा तो है...दबदबा तो रहेगा.....इस आदेश के बाद दबदबा खत्म हो गया… जिसके बाद पहलवानों ने रहत की सांस ली…जिसके बाद पूरा देश बोल पड़ा– दबदबा जूते की नोक पे, ये शब्द सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X ट्रेंड कर रहा है… #दबदबा जूते की नोक पे