सिर्फ 18 साल की उम्र में शतरंज की बिसात पर अपने दिग्गजों को शिकस्त देने के बाद अब अपनी आखिरी जंग के लिए तैयार भारत के शतरंज के युवा खिलाडी आर प्रज्ञानानंदा चेस वर्ल्ड कप 2023 के फाइनल मुकाबले में 32 वर्षीय और विश्व के नंबर एक खिलाड़ी मेग्नस कार्लसन से आज फिर से भिड़ेंगे, जहां आज चैंपियन का फैसला टाई - ब्रेक मुकाबले से होगा।
दो मुकाबले ड्रा होने के बाद अब आपको पहले बता दें कि ट्राई-ब्रेक मुकाबले की गणित क्या रहेगी और चैंपियन का फैसला कैसे होगा ? ट्राई-ब्रेक को रैपिड गेम भी कहा जाता है जिसमें 15-15 मिनट के चार गेम खेले जाएंगे। फिर इसमें हर गेम जीतने पर खिलाड़ी को एक अंक और बराबरी की स्थिति में आधा अंक दिया जाएगा। यदि टाई - ब्रेक में भी नतीजा नही निकलता है तो फिर ब्लिट्स से परिणाम निकलेगा।
अब ये ब्लिट्स क्या होता है आपको यह भी बता देते हैं। ब्लिट्स में तीन मिनट का एक गेम होता है। इसमें चेक एंड मेट करना ज़रूरी होता है। पहला गेम जीतने वाले खिलाड़ी को विनर घोषित कर दिया जाता है।
भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंद और नार्वे के मैग्नस कार्लसन के बीच चेस वर्ल्ड कप 2023 के खिताबी मुकाबले में मंगलवार को हुए पहले गेम में 35 चालों के बाद ड्रा पर खत्म होने के बाद कल भी दूसरा मुकाबला ड्रा खेला गया। जिसके बाद से चेस वर्ल्ड कप 2023 का फाइनल मुकाबला और दिलचस्प होता जा रहा है। दूसरे दौर की बाज़ी में प्रज्ञानानंद काले मोहरों के साथ खेले, लेकिन उन्होंने अपनी दमदार चालों से 30 चालों के बाद उन्होंने विश्व के नंबर एक खिलाड़ी को ड्रा खेलने के लिए मजबूर कर दिया।
बता दें कि यह खिताबी मुकाबला अजरबैज़ान के बाकू में खेला जा रहा है। 18 साल के प्रज्ञानानंद के पास देश के लिए एक शानदार इतिहास रचने का सुनहरा मौका है। वे 21 साल बाद भारत को फिर से फिडे वर्ल्ड कप जीता सकते हैं। इससे पहले भारत ने आखिरी बार साल 2002 में शतरंज विश्वकप अपने नाम किया था। यह कारनामा करने वाले चैंपियन विश्वनाथन आनंद थे। महान भारतीय खिलाड़ी ग्रैंडमास्टर विश्व नाथन आनंद ने कहा कि मौजूदा पीढ़ी भारतीय शतरंज की स्वर्णिम पीढ़ी है।
इससे पहले प्रज्ञानानंद ने सेमीफाइनल मुकाबले में रोमांचक जीत हासिल की थी। उन्होंने टाईब्रेक में अमेरिका के फाबियानो करूआना को 3.5-2.5 से मात दी। दिलचस्प बात ये है कि करूआना दुनिया के नंबर 3 खिलाड़ी हैं। वहीं प्रज्ञानानंद ने दो मैचों की क्लासिकल सीरीज 1-1 से बराबरी पर समाप्त होने के बाद अमेरिकी ग्रैंडमास्टर को पछाड़ा। आपको बता दें कि प्रज्ञानानंद वर्ल्ड कप फाइनल में एंट्री करने वाले दूसरे भारतीय हैं। उन्होंने कंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है। वे इस टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करने वाले तीसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं।
प्रज्ञानानंद के करियर की बात करें तो उन्होंने अब तक कुल 1789 मैच खेले हैं, जिसमें से उन्होंने 894 में जीत दर्ज की। प्रज्ञानानंद के 504 गेम ड्रॉ रहे और 391 में हार का सामना करना पड़ा। वहीं दूसरी तरफ, पांच बार के विश्व चैंपियन कार्लसन ने कुल 1820 मैच खेले हैं। उन्होंने 785 गेम जीते और 836 बोर्ड ड्रॉ किए, जबकि उन्हें 199 मैचों में हार मिली है।
वहीं राष्ट्रीय कोच ग्रैंडमास्टर एम श्याम सुंदर ने प्रज्ञानानंद के बारे में कहा कि दबाव की स्थिति में सहजता से बचाव करना और अपने प्रतिद्वंद्वी की कमजोरी को तुरंत भांप कर अपने खेल में बदलाव करना उसकी सबसे बड़ी क्षमता है। उन्होंने कहा, "उनकी सबसे बड़ी ताकतों में से एक सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के खिलाफ भी मुश्किल स्थिति में बचाव करने की उनकी क्षमता है। उनकी गणना करने की क्षमता उत्कृष्ट है और वह आत्मविश्वास के साथ बेहतर स्थिति को जीत में बदल सकता है।