शिक्षा नगरी कहे जाने वाले राजस्थान के कोटा से फिर से दुखद खबर निकल कर आई है, पढ़ाई के बोझ के नीचे दबकर एक और घर का मासूम चिराग बूझ गया है, सैंकड़ों किताबे पढ़कर अपने माता-पिता का सपना पूरा करने का सपना देखने वाले छात्र की कलम से अंतिम शब्द बस ये ही निकल पाए " I AM SORRY PAPA " कोटा से निकली इस दुखद खबर ने एक बार फिर से एज्युकेशन सिस्टम पर कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं, साथ ही सरकार के सामने चुनौती भी रख दी है की आखिर इस सिस्टम को कैसे सुधारा जाए
मेडिकल और इंजीनियरिंग कोचिंग के लिए पहचाने जाने वाला शहर कोटा है लेकिन कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड के मामले यहां लगातार बढ़ते जा रहे है, जिससे की शिक्षा नगरी कहे जाने वाला शहर बदनाम होता जा रहा है यहाँ के सुसाइड आंकड़ों की बात करें तो पिछले साल 29 और इस साल की शुरुआत में 25 दिनों के अंदर ही चार कोचिंग स्टूडेंट सुसाइड कर चुके हैं, जबकि एक छात्र लापता है और एक ने आत्महत्या का प्रयास किया था, पिछले एक दशक में ऐसे मामलों की बढ़तोरी डराने वाली है
हर छात्र की आत्महत्या की खबर के बाद जिला प्रशासन जागता है, भागता है, और बताता भी है की काम कर रहे हैं, लेकिन ये काम सिर्फ मासूम की मौत के कुछ दिनों तक ही महज दिखावा बनकर रह जाते हैं, कोटा के कोचिंग संस्थान, हॉस्टल और यहां के निवासी भी इस पर लगाम लगाने के लिए कई तरह के प्रयास किए जाते हैं, लेकिन इसके बाद भी सुसाइड के मामले में लगातार सामने आ ही जाते हैं,
कोटा जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने अब एक पत्र लिखा है, ये पत्र क्यों चर्चाओं में है, आखिर इस पत्र में क्या है, तो चलिए आपको बताते हैं की कोटा कलेक्टर ने ये पत्र अभिभावकों और कोचिंग के विद्यार्थियों को लिखा है जिसमें उन्होंने खुद का उदाहरण दिया है, उदाहरण देते हुए कोटा कलेक्टर ने लिखा कि "मैं खुद PMT में फेल हो चुका हूं"
जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने स्टूडेंट से कहा कि आप नीट यूजी व जेईई के पेपर देंगे, लेकिन यह ध्यान में रखें कि असफलता मौका देती है और जीवन में की गई गलतियों से जीतकर ही हम सफल हो सकते हैं और अपनी एक हर को ही जिंदगी की हर न माने, आपके लिए दूसरा रास्ता भी तैयार रहता है और अगर आप मंजिल की और ईमानदारी से चल रहे हो तो गिरोगे भी और फिर जब आप गिर कर उठेंगे और फिर अपनी मंजिल को हासिल करेंगे।
कलेक्टर ने पेरेंट्स को लिखे पत्र में कहा कि बच्चों की परीक्षाएं होने वाली है. आपने उन्हें कोटा में रहने के लिए सभी सुविधाएं दी है, यह एक समर्पण है. पेरेंट्स के लिए बच्चे की खुशी से बढ़कर कोई और खुशी नहीं हो सकती है, लेकिन समस्या तब खड़ी होती है, जब हम बच्चे की खुशी को उसके किसी परीक्षा में लाए गए नंबरों से जोड़कर देखते हैं. हो सकता है कि बच्चे ने पूरी मेहनत की हो, लेकिन उस दिन उसका दिन खराब हो, उसका लगाव उस विषय में न हो. उन्होंने पेरेंट्स से अपील की, कि अपने बच्चों को गलती सुधारने का मौका दें. खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि वो कोटा से वापस चले गए थे, तब उनके माता-पिता ने भी उन्हें मौका दिया, क्योंकि बच्चा जो भी करेगा, पूरे मन से करेगा व आपके लिए करेगा. अगले कुछ दिन नियमित बात करें और समझाएं कि पूरे विश्व में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, जो फेल नहीं हुआ. सभी कहीं न कहीं फेल होते हैं. उन्हें यह भी बताएं कि डॉक्टर या इंजीनियर ही सफल हो, ऐसा भी जरूरी नहीं है.