राजस्थान के कोटपूतली इलाके में 3 साल की चेतना गिर गई और अब वह 150 फीट की गहराई पर फंसी हुई है। पिछले 24 घंटे से एनडीआरएफ की टीम बच्ची को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है। वही रात को सीसीटीवी फुटेज में बच्ची के सिर के मूवमेंट को देखा गया, लेकिन वह गर्दन से नीचे तक मिट्टी में फंसी हुई थी, जिससे उसके शरीर की कोई हलचल नहीं हो पा रही थी।
एनडीआरएफ के सीनियर कमांडेंट योगेश मीणा ने बताया कि रात एक बजे बोरवेल के आसपास रिंग बनाकर बच्ची को निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन रिंग कपड़े में फंसने के कारण वह बच्ची को नहीं पकड़ सकी। सुबह आठ बजे फिर से रिंग डालने की कोशिश की गई, लेकिन रिंग का ग्रिप कमजोर होने के कारण यह प्रयास भी सफल नहीं हो सका। अब हुक से निकालने की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है। 15 रॉड लगी हुई है, जॉक (अम्ब्रेला सिस्टम) लगा हुआ है। बच्ची नीचे नहीं खिसके इसके लिए L लगाने का प्रयास किया जा रहा है। जैसे ही L लग जाएगा बच्ची को ऊपर खींच लिया जाएगा। करीब 150-152 फीट तक मिट्टी का बोरवेल है, नीचे पत्थर है, जहां बच्ची जाकर फिक्स हो गई। चारों तरफ L फंसाने की कोशिश की जा रही है।
SDM बृजेश चौधरी ने बताया बच्ची को सकुशल निकालने का प्रयास किया जा रहा है। रातभर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा। बच्ची जिस स्थिति में अटकी हुई है, उसके नीचे थोड़ा दलदल और गीली मिट्टी है, जिससे कुछ दिक्कत हो रही थी। अब बच्ची के नीचे रिंग लग गई है, जिसकी मदद से उसे निकालने का प्रयास किया जा रहा हैऑक्सीजन लगातार दी जा रही है। वही NDRF के एसआई रवि कुमार ने बताया कि बच्ची को रेस्क्यू करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। पहले ऐसे ऑपरेशन आमतौर पर सेना द्वारा किए जाते थे, लेकिन वर्तमान में NDRF और सिविल डिफेंस के पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। फिलहाल, सभी एजेंसियां रेस्क्यू ऑपरेशन में अपना पूरा प्रयास कर रही हैं।
बच्ची के दादा दयाराम चौधरी ने बताया की रात भर कोशिश की गई, लेकिन कई प्रयास असफल रहे।सुबह ASP और ADM ने बताया कि अब चेतना के कपड़ों में हुक फंसा कर बाहर निकलने की प्रयास किया जाएगा।अधिकारियों ने परिवार से सहमति मांगी है कि रेस्क्यू के दौरान अगर बच्ची को चोट पहुंचती है तो परिवार प्रशासन पर आरोप नहीं लगाएगा। दयाराम चौधरी ने कहा कि परिवार की ओर से कोई आरोप नहीं लगाया जाएगा। किसी भी तरह से बच्ची को बाहर निकालें।
यह घटना उस समय हुई जब बच्ची के पिता भूपेंद्र ने बड्याली ढाणी में अपने घर के पास बोरवेल खुदवाया था. पानी नहीं मिलने पर उसे खुला छोड़ दिया गया. सोमवार दोपहर करीब डेढ़ बजे उनकी दोनों बेटियां, तीन साल की चेतना और आठ साल की काव्या, बोरवेल के पास खेल रही थीं. इसी दौरान चेतना का पैर फिसल गया और वह बोरवेल में गिर गई.