देशी घी के 100 पीपों से मोदकों की झांकी, सोजत से मंगाई गई 3500 किलो मेहंदी से सिंजारा, हीरे जड़ित सोने का मुकुट धारण कराकर चांदी के सिंहासन पर विराजमान करा प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
इस बार 11 सितंबर को छोटी काशी के प्रमुख मोती डूंगरी गणेश मंदिर में पुष्य नक्षत्र के दिन ध्वजारोहण और ध्वज पूजन के साथ जन्मोत्सव कार्यक्रम शुरू किया जाएगा और कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। फिर 20 सितंबर को शोभायात्रा निकाल कर जन्मोत्सव कार्यक्रम का समापन किया जाएगा।
अब हम आपको एक-एक कर हर दिन के कार्यक्रम की जानकारी देते हैं।
11 सितंबर - पुष्य नक्षत्र अभिषेक –
प्रात: 8:00 पुष्य नक्षत्र के समय में भगवान श्री गणेश जी का 251 किलो दूध, 25 किलो बूरा, 50 किलो दही, 11 किलो शहद और 11 किलो घी का इस्तेमाल कर पंचामृत अभिषेक किया जाएगा। फिर गुलाब जल और केवड़ा जल से भगवान का श्री अभिषेक होगा। इसके बाद इत्र अभिषेक, ध्वज पूजन और ध्वजारोहण किया जाएगा। इस अवसर पर 501 महिलाएं कलश यात्रा लेकर मंदिर पहुंचेंगी और जल से भगवान का अभिषेक होगा।
13 सितंबर - मोदकों की झांकी :
13 सितंबर यानी बुधवार को 100 किलो देशी घी से तैयार 251 किलो के दो, 51 किलो के पांच, 21 किलो के 21, सवा किलो के 1100 और अन्य छोटे मोदकों की झांकी सजाई जाएगी। इसके बाद भगवान श्री गणेश को फूलों के झरोखे में विराजमान कराया जाएगा। इसी दिन भगवान गजानन को करीब 10 हजार रत्न से जड़ा विशेष मुकुट धारण कराया जाएगा। वहीं मंदिर महंत कैलाश शर्मा ने दावा किया है कि ये अपनी तरह का देश में एकमात्र मुकुट है। बता दें कि इस दिन बाहर का प्रसाद नहीं चढ़ाया जाएगा। इसके पश्चात सायं: 6:30 बजे से रात 9:00 बजे तक भक्त जनों को निशुल्क मोदक वितरण किए जाएंगे।
14 से 17 सितंबर - सांस्कृतिक कार्यक्रम और भजन संध्या कार्यक्रम :
भगवान् के जन्मोत्सव कार्यक्रम के दौरान 14 से 17 तारीख तक चार दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम और भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। 14 सितंबर को शाम ध्रुपद गायन, 15 सितंबर को कथक नृत्य, 16 सितंबर को भी कथक नृत्य और 17 सितंबर को सुगम संगीत का आयोजन किया जाएगा। ये सभी कार्यक्रम शाम 7:00 बजे होंगे।
18 सितंबर मेहंदी पूजन और सिंजारा :
गणेश चतुर्थी से ठीक 1 दिन पहले भाद्रपद तीज को शाम 6:15 बजे प्रथम पूज्य का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। इसके साथ ही गजानन महाराज को सिंजारे की मेहंदी धारण कराई जाएगी और भक्तजनों को भी मेहंदी का प्रसाद बांटा जाएगा। इसी दिन गणेश जी महाराज को स्वर्ण मुकुट और नौलखा हार धारण कराया जाएगा और भगवान को चांदी के सिंहासन पर विराजमान कर विशेष पोशाक धारण कराई जाएगी। वहीं मेहंदी प्रसाद वितरण के लिए मंदिर परिसर में ही पांच स्थान तय किए गए हैं। इसके साथ ही महिलाओं और कन्याओं के लिए डोरा और मेहंदी की अलग से इंतेजाम किये गए हैं। उन्होंने बताया कि यहाँ जिनकी भी कोई प्रार्थना है या शादी नहीं हो रही। उनके लिए डोरा बांधने और मेहंदी लगाने की मान्यता है।
19 सितंबर को होंगे गणेश चतुर्थी के जन्मोत्सव दर्शन :
गणेश चतुर्थी के दिन सुबह 4:00 बजे मंगला आरती के साथ गजानन महाराज के दर्शन के इंतज़ाम रहेंगे। इस दिन 11:20 पर विशेष पूजन, 11:30 पर श्रृंगार आरती, दोपहर 2:15 बजे भोग आरती, शाम 7:00 संध्या आरती और रात 11:45 होगी। महंत कैलाश शर्मा ने कहा कि श्रद्धालुओं को विघ्नहर्ता के दर्शन करने में कोई परेशानी ना हो, इसको ध्यान में रखते हुए जेएलएन एवं तख्तेशाही रोड से बैरिकेडिंग के जरिये कतारबद्ध होकर मंदिर परिसर तक लाने की व्यवस्था रहेगी। दर्शन के लिए 5 लाइन मंदिर में आने के लिए और 6 लाइन मंदिर से जाने की रखी गई है। इसके अलावा निशक्तजनों के लिए विशेष रूप से व्यवस्था की गई है। वहीं सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए पुलिस प्रशासन के साथ-साथ, मेटल डिटेक्टर गेट, 58 सीसीटीवी कैमरे भी इंस्टॉल किए गए हैं। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि सुबह 4:00 से पूरे दिन भगवान के दर्शन किए जा सकेंगे।
20 सितंबर शोभायात्रा :
मोती डूंगरी गणेश मंदिर से शोभा यात्रा निकालने की परंपरा का एक बार फिर से निभाया किया जाएगा। ये शोभायात्रा राजधानी के मुख्य मार्ग जौहरी बाजार, बड़ी चौपड़, त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़, गणगौरी बाजार, ब्रह्मपुरी होते हुए गढ़ गणेश मंदिर पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि इस बार इलेक्ट्रॉनिक झांकियां की संख्या भी अधिक रहेगी।