राजस्थान के शिक्षा के बढ़ते कदम आरकेएसएमबीके ( RKSMBK ) कार्यक्रम कोरोना के दौरान पढ़ाई के नुकसान की भरपाई करने हेतु लागू किया गया था कोरोना महामारी में लर्निंग लॉस होने के कारण गहलोत सरकार ने कक्षा 1 से कक्षा 8 तक ब्रिज कोर्स लागू किया गया था जिसमें विद्यार्थी दक्षता आधारित आसान एवं आनंदपूर्ण शिक्षण कर सके इसमें सत्र प्रारंभ में प्रथम तीन माह तक चार कालांश तथा शेष सत्र दो कालांश पढ़ाई हेतु निर्धारित है तथा उस वक्त 75 करोड़ रुपए बजट निर्धारित किया गया था
कक्षा तीन से कक्षा आठ तक अंग्रेजी, हिंदी एवं गणित की पढ़ाई निश्चित की गई थी इस ब्रिज कोर्स पढ़ाने हेतु विभाग द्वारा वर्क बुक तथा अन्य टीएलएम सामग्री उपलब्ध कराई जाती है, अब कोरोना काल निकल चुका है लेकिन अब भी आरकेएसएमबीके लागू है इसके कारण कक्षा का जो निर्धारित सिलेबस है वह पूर्ण नहीं हो पता है, आरकेएसएमबीके का रिकार्ड संधारित करना पड़ता है शाला दर्पण पर अपडेशन किया जाना पड़ता है सत्र में तीन बार आंकलन दक्षता तथा तीन अभिभावक मीटिंग आदि कार्यों के कारण शिक्षकों का पढ़ाई का समय बर्बाद होता है, तथा इस हेतु करीब 100 करोड़ का बजट विभाग द्वारा खर्च होता है
शिक्षकों में असमंजस है कक्षा का सिलेबस पूर्ण कराएं या आरकेएसएमबीके का सिलेबस कारण क्योंकि शिक्षकों की गैर शैक्षणिक कार्यों में ड्यूटी होने के कारण पढ़ाई का समय वैसे ही कम मिल पाता है ऐसे में आरकेएसएमबीके में ही आधा समय बीत जाता है तथा उसके कारण कक्षा का सिलेबस पूर्ण नहीं हो पता है और करीब 100 करोड़ व्यय विभाग पर पड़ रहा है और इसे विभाग के शिक्षकों पर मानसिक प्रताड़ना भी रहती है कि आरकेएसएमबीके को आधार बनाकर अधिकारी उन पर विभागीय कार्रवाई करते रहते हैं
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने बताया संगठन ने शिक्षा मंत्री से मांग की कोरोना काल निकल चुका है और बच्चों के जो लर्निंग लॉस के लिए यह ब्रिज कोर्स कार्यक्रम निर्धारित किया गया था वह अपना कार्य पूर्ण कर चुका है ऐसे में नए सत्र से आरकेएसएमबीके को बंद किया जाए तथा इस पर खर्च होने वाले करोड़ों रुपए स्कूलों की इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हो तो ज्यादा समाचीन होगा