राजस्थान के लोगों के लिए अक्टूबर की शुरुआत एक नई बिजली दर के साथ हुई है। राज्य में 1 अक्टूबर से नई बिजली टैरिफ लागू हो गई है, जिससे आम उपभोक्ताओं और उद्योगों दोनों पर सीधा असर पड़ा है।
राज्य की बिजली कंपनियों ने दरों में बदलाव करते हुए प्रति यूनिट दर 15 पैसे कम की है, लेकिन स्थायी शुल्क (Fixed Charge) में भारी बढ़ोतरी की गई है। इसके चलते मध्यम वर्ग और अधिक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं का मासिक बिल बढ़ने वाला है।
मिडिल क्लास पर असर
जो उपभोक्ता हर महीने लगभग 400 यूनिट बिजली खर्च करते हैं, उन्हें अब लगभग 490 ज्यादा बिल चुकाना पड़ेगा। यानी कुल बिल में करीब 14% की वृद्धि होगी।
पहले 400 यूनिट पर औसतन 7.65 प्रति यूनिट का खर्च आता था। नई दरों से भले ही 260 की राहत मिली हो, लेकिन स्थायी शुल्क 450 से बढ़ाकर 800 प्रति माह कर दिया गया है, जिससे राहत के बजाय कुल बिल में बढ़ोतरी हो गई है।
उद्योगों के लिए चिंता की बात
राज्य के स्टील उद्योग को नई दरों से सबसे ज्यादा झटका लगा है। उद्योगपतियों के अनुसार अब बिजली की बेसिक दर 6.30 प्रति यूनिट हो गई है। पहले मिलने वाली 60 पैसे प्रति यूनिट की छूट समाप्त कर दी गई है।
इसके अलावा अब 1 प्रति यूनिट का अतिरिक्त चार्ज और 50 प्रतिशत लोड फैक्टर नियम लागू कर दिया गया है, जिससे उद्योगों की लागत में भारी इजाफा हुआ है।
उद्योगों पर संकट का खतरा
स्टील कारोबारियों का कहना है कि बढ़ती बिजली लागत के कारण उत्पादन खर्च बढ़ गया है, जिससे स्टील उत्पादों के दाम भी बढ़ सकते हैं। अगर जल्द राहत नहीं मिली, तो कई स्टील फैक्ट्रियां बंद हो सकती हैं या फिर दूसरे राज्यों में शिफ्ट हो सकती हैं, जहां बिजली सस्ती है।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि बिजली दरों में बढ़ोतरी से न सिर्फ स्टील सेक्टर प्रभावित होगा, बल्कि रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।