राजस्थान की विख्यात अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट में वादी विष्णु गुप्ता के वकील ने अपना जवाब पेश किया। इसके बाद दरगाह पक्ष की ओर से जवाब देने के लिए समय मांगा गया। अब अगली सुनवाई पर में दरगाह कमेटी अपना पक्ष रखेगी। इसके अलावा, वन 10 मामले में सुनवाई नहीं हुई, वादी ने और समय मांगा है। शुक्रवार को 6 नए लोगों ने मामले में पक्षकार बनने के लिए अर्जी भी दी है।
अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे वाली याचिका पर 6 नए लोगों ने मामले में पक्षकार बनने के लिए अर्जी भी दी है। टोंक से कासिफ जुबेरी, अजमेर से पीर नफीस मिया चिश्ती खादिम, काजी मुन्नवर अली, प्रिंस सेन, किशनगढ़ से आरिफ अली चिश्ती और शेख जादा अजीम मोहम्मद ने प्रतिवादी बनने के लिए अपनी अर्जियां दाखिल की हैं। वही कोर्ट ने सभी पक्षों को समय देते हुए मामले मे अगली सुनवाई की तारीख 1 मार्च तय की है। विष्णु गुप्ता का कहना है कि मंदिर के दावे वाली याचिका को खारिज करने के लिए जो याचिका (711) लगाई गई है, उसे खारिज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अजमेर दरगाह में मंदिर होने के कई सबूत उन्होंने कोर्ट के सामने पेश किए हैं। उनका यह भी तर्क है कि यहां वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता, क्योंकि यह पूजा पद्धति का स्थान नहीं है। विष्णु गुप्ता के अनुसार, वर्शिप एक्ट में केवल मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारा ही आते हैं। दरगाह या कब्रिस्तान का वर्शिप एक्ट में कोई जिक्र नहीं है।
दरगाह कमेटी ने कोर्ट में एक अर्जी लगाई है। इस अर्जी में उन्होंने मांग की है कि शिव मंदिर होने के दावे वाली याचिका को खारिज कर दिया जाए। कमेटी का कहना है कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इस पर अदालत ने वादी विष्णु गुप्ता से जवाब मांगा। विष्णु गुप्ता ने अपना जवाब अदालत में पेश कर दिया है। अब इस जवाब पर दरगाह कमेटी को अपना पक्ष रखना है, जिसके लिए उन्होंने अदालत से समय मांगा है। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी है।