राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) कें प्रदेशाध्यक्ष महावीर सिहाग ने विधानसभा में पेश बजट पर कड़ी प्रतिक्रिया में कहा है कि बजट सत्र से ठीक पहले राज्य सरकार द्वारा राज्य के सैंकड़ो सरकारी विद्यालयों को अकारण बंद कर देने की पृष्ठभूमि में राज्य की वित्त मंत्री दीया कुमारी द्वारा आज राज्य विधानसभा में बजट प्रस्तुत करते हुए 50 और 100 विद्यालयों को उच्च प्राथमिक तथा उच्च माध्यमिक विद्यालय में क्रमोन्नत करने की घोषणा शैक्षिक जगत के साथ एक क्रूर मजाक है। वित्त मंत्री की यह घोषणा सरकार द्वारा शिक्षा पर किए जा रहे हमलों से महज़ लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश के सिवाय और कुछ नहीं है। अध्यापकों और वरिष्ठ अध्यापकों के पदोन्नति के अवसर ना के बराबर है परन्तु फिर भी वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में इस संबंध में एक शब्द भी नहीं बोला। यही नहीं हजारों पात्र शिक्षको की पदोन्नति वर्षों से अटकी पड़ी है लेकिन विभाग और सरकार कुंभकर्णी नींद में है।
राज्य के हजारों अध्यापक स्थानांतरण नहीं होने के कारण वर्षों से पीड़ित और बहुत परेशान है, पदोन्नति का स्थानांतरण की पीड़ा के निवारण से सीधा संबंध है परन्तु सरकार को हजारों शिक्षकों की पीड़ा से जैसे कोई सरोकार ही नहीं है। राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) के प्रदेशाध्यक्ष महावीर सिहाग तथा महामंत्री उपेन्द्र शर्मा ने अपनी प्रतिक्रिया में रेखांकित किया है कि अकेले शिक्षा विभाग में ही एक लाख से अधिक पद खाली है और वित्त मंत्री ने कुल मात्र सवा लाख पदों को भरने की बात कही है, संविदा पद सृजित करने का ऐलान किया है, यह बेरोजगारों के साथ छलावा, आमजन के प्रति उदासीनता और कर्मचारियों को अनुचित व अत्यधिक कार्यभार से दबाए रखने की मंशा को दिखाता है। शिक्षक संघ (शेखावत) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष फैलीराम मीणा, संघर्ष संयोजक पोखर मल, कोषाध्यक्ष राधेश्याम यादव ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि शिक्षा क्षेत्र तथा कर्मचारियों की अनदेखी से राज्य के शिक्षकों और कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। सरकार शिक्षकों और कर्मचारियों के इन मुद्दों का समाधान इसी बजट सत्र में करे अन्यथा सरकार को शिक्षकों तथा कर्मचारियों के विरोध का सामना करना पड़ेगा।