कर्मचारी संगठनों की मांग के बाद भी खेमराज समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक किए बिना वित्त विभाग द्वारा निकाले गए 11 दिसंबर 2024 के आदेश से कर्मचारियों में काफी आक्रोश है। एक बयान में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठोड़ ने कहा कि सरकार द्वारा खेमराज समिति की रिपोर्ट को अपने हिसाब से लागू किया गया है। जिससे कमेटी के गठन से विश्वास उठ गया है। राठौड़ ने कहा कि सावन्त कमेटी और खेमराज कमेटी ने लगभग 400 संगठनों की सुनवाई के बाद अपनी रिपोर्ट पेश की थी और लाखों कर्मचारी खेमराज समिति से आशा लगाये हुए थे। लेकिन सरकार के एक तरफा निर्णय से प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को झटका लगा है ।
राठौड़ ने कहा की सरकार ने जिन संवर्गों की वेतन विसंगतियों को दूर किया है उसका महासंघ स्वागत करता है, लेकिन खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को उजागर किए बिना सरकार के एक तरफा निर्णय का कड़े शब्दों में विरोध करता है। उन्होंने बताया कि खेमराज समिति सभी संवर्गों की वेतन विसंगतियों और पदोन्नति की अवसरों की असमानता को दूर करने के लिए बनाए गई थी। महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ एवं राजस्थान राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेंद्र सिंह नरुका ने एक संयुक्त बयान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से खेमराज कमेटी की मूल रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की है । उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को यह जानने का हक है कि उनकी समस्याओं पर खेमराज कमेटी ने क्या सुझाव दिए हैं। नरुका ने कहा कि मंत्रालयिक कर्मचारियों की दूसरी पदोन्नति पर सचिवालय तथा अन्य संवर्गों के समान 4200 ग्रेड पे नहीं दिया जाना ओर छोटे विभाग के कर्मचारियों को प्रमोशन के कम अवसर होना ये बहुत बड़ी विसंगतियां है। उन्होंने खेमराज समिति की मूल रिपोर्ट को तुरंत सार्वजनिक कर उसे शीघ्र लागू करने की मांग की है।