प्रदेश में लगातार बढ़ते बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार द्वारा बाल विवाह निषेध कानून और सामाजिक संगठन लगातार प्रयास कर रहे है लेकिन उसके बावजूद भी बाल विवाह नहीं रुक पा रहे हैं। इसी को देखते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने भजनलाल सरकार को बाल विवाह नहीं होने देने या रोकने के लिए जरूरी और गंभीर कदम उठाने के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं।
हाईकोर्ट जस्टिस शुभा मेहता ने कहा है कि प्रदेश में कहीं भी किसी भी बाल विवाह नहीं होना चाहिए। इसके लिए क्षेत्र के जनप्रतिनिधि को जागरूक रहना होगा। अगर जिम्मेदारी का निर्वाहन करने में जनप्रतिनिधि विफल है, तो उनकी भी जवाबदेही तय की जाएगी। पंचायती राज नियम के तहत बाल विवाह रोकना पंच-सरपंच की ड्यूटी है। बचपन बचाओ आंदोलन और अन्य की PIL पर जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए ये साफ किया है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में 19 साल की 3.7 प्रतिशत
लड़किया/महिलाएं मां बन चुकी हैं या फिर वे गर्भवती हैं। PIL में ये भी बताया गया है कि 20-24 साल की महिलाओं में 25.4 फीसदी लकड़ियों की शादी 18 साल से पहले ही हो जाती है। राजस्थान के शहरी क्षेत्र में ये प्रतिशत 15.1 है, जबकि ग्रामीण इलाकों में ये आंकड़ा 28. 3 हो जाता है।
प्रदेश सरकार की ओर से दिए गए जवाब में एएजी बीएस छाबा ने कहा कि सरकार बाल विवाह रोकने के लिए प्रयास कर रही है। 1098 नंबर पर बाल शोषण और बाल विवाह की शिकायत की जा सकती है। जिससे की बाल विवाह पर रोक लगाई जा सके और तुरंत कार्रवाई की जा सके
प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि इसी माह अक्षय तृतीया है, जिस पर बड़ी संख्या में बाल विवाह होंगे। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के अनुसार 20 से 24 साल की उम्र वाली महिलाओं में से 25.4 फीसदी की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो जाती है। इनमें से 15.1 फीसदी महिलाएं शहरी क्षेत्र में और 28.3 फीसदी ग्रामीण इलाकों में हैं। ऐसे में बाल विवाह निषेध अधिकारी से उनके क्षेत्र में हुए बाल विवाह व उसे रोकने के लिए किए गए प्रयासों की रिपोर्ट मांगनी चाहिए।
प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता बीएस छाबा ने कहा कि राज्य की सरकार बाल विवाह रोकने के लिए प्रयास कर रही है। पिछले साल 70 बाल विवाह रोके गए। इसके अलावा कोई भी व्यक्ति 1098 नंबर पर बाल शोषण व बाल विवाह की शिकायत कर सकता है।