पिछले करीब आधा दशक से प्रदेश के लाखों शिक्षकों को सामने एक समस्या जस की तस बनी है और वो है पदोन्नति, शिक्षा विभाग द्वारा लगातार सरकार को गुमराह करने के चलते पदोन्नति का रास्ता साफ नहीं हो पा रहा है जिसके चलते लाखों शिक्षक पदोन्नति से वंचित रह रहे हैं, जिसका असर अब प्रदेश की सरकारी स्कूलों में शिक्षा पर तो पड़ ही रहा है साथ ही शिक्षक भी मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं
शिक्षा मंत्री की पहल पर एडिशनल स्नातक डिग्री धारक अभ्यर्थियों को राज्य सरकार ने प्रशासनिक निर्णय लेते हुए 5 मई 2024 को नियुक्ति देने हेतु निदेशालय को आदेश जारी किया गया लेकिन निदेशालय ने नियुक्ति आदेश प्रकोष्ठ में काबिज अधिकारियों ने बेरोजगारों के साथ खेला करते हुए उच्च अधिकारियों को गुमराह कर नियुक्ति देने के आदेश को पलटवा दिया!
गौरतलब है कि निदेशक के 28 जुलाई 2022 के विवादास्पद आदेश के कारण एडिशनल डिग्री वाले अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं मिल पा रही है, इस विवादास्पद आदेश के कारण गत पांच सत्र से तृतीय श्रेणी से वरिष्ठ अध्यापक की डीपीसी रुकी हुई है, अगर सरकार यह विवादास्पद आदेश वापस ले लेती है तो शिक्षा विभाग में गत पांच सत्र से रुकी हुई पदोन्नति तथा एडिशनव डिग्रीधारी अभ्यार्थियों को नियुक्ति मिल सकती है
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने मांग की है की 28 जुलाई 2022 का निदेशक का आदेश राजस्थान शिक्षा सेवा नियमों से परे है ऐसे में इस आदेश की आड़ में इन पदोन्नति तथा नियुक्तियों को रोकना गलत है, इस आदेश की व्याख्या निदेशालय द्वारा सही तरीके से नहीं की गई थी यह आदेश संगम तथा मेवाड़ विश्वविद्यालय के एडिशनल डिग्रीधारियों पर रोक लगाने के लिए था ना कि अन्य विश्वविद्यालयों एडिशनल डिग्रीधारी को रोकने के लिए नहीं था, पूर्व निदेशक सौरभ स्वामी के आदेश की गलत व्याख्या कर निदेशालय नित्य नए ग़ैर वाजिब तरीके अपना रहा है, अगर निदेशालय अपनी गलती स्वीकार लेता है और निदेशक के आदेश प्रत्याहारित करता है तौ विभाग के तृतीय श्रेणी के तीन लाख शिक्षकों की पदोन्नति का रास्ता खुल जाएगा