राजस्थान पिछले करीब 5 सालों से तबादला नीति के बारे में सुन तो रहे हैं लेकिन ये तबादला नीति कब लागू होगी किसी को नहीं पता, राजस्थान सरकार की ओर से अब तक करीब आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों की तबादला नीतियों पर मंथन किया जा चुका है, लेकिन अभी तक किसी भी राज्य की तबादला नीति राजस्थान सरकार के गले नहीं उतर रही है, तो वहीं अब सूचना मिल रही है की राजस्थान को उड़ीसा की ट्रांसफर पॉलिसी पसंद आई है और अब इस पर काम करके जल्द ही राजस्थान में उड़ीसा की तबादला पॉलिसी लागू की जाएगी
एक नीति के तहत तबादला हो इसको लेकर राजस्थान सरकार लम्बे समय से कवायद कर रही है, कई राज्यों की तबादला नीति पर काम करने के बाद आखिरकार भजनलाल सरकार उड़ीसा की तबादला नीति पर राजी होती हुई नजर आ रही है, और सरकारी सूत्रों की बात की जाए तो लोकसभा चुनाव के बाद ये तबादला नीति लागू होने की पूरी संभावना भी जताई जा रही है
उड़ीसा की तबादला नीति पर लगभग मुहर लगने की जहां संभावनाएं प्रबल है तो वहीं आपको बता दें की इसमें आईटी स्तर पर कवायद करके पोर्टल बनाने,विभिन्न विभागों की दो श्रेणी करके उनकी जरूरत के आधार पर तबादले करने, कर्मचारियों के 5 साल तक एक विभाग/ एक सेक्शन में न रखने, दो साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टिंग और डार्क जोन में 3 साल सेवा बाद तबादले हो सकने के प्रावधान के आसार नजर आ रहे हैं,
कांग्रेस सरकार में पिछले 5 सालों तक तबादला नीति पर सिर्फ मंथन किया गया, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला था, लेकिन भाजपा की सरकार बनने के साथ ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजस्थान में एक मजबूत तबादला नीति लागू करने के लिए पुख्ता कदम उठाने के मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे जिसमें तबादले के लिए नीति समयबद्ध रूप से जल्द तैयार करने जिससे तबादले संबंधित प्रकरणों का जल्द हो सके निपटारा, साथ ही दो हजार से ज्यादा कर्मचारियों वाले ऑफिस ए श्रेणी और दो हजार से कम वाले कर्मचारियों वाले ऑफिस बी श्रेणी में होंगे. इसके साथ ही करीब एक दर्जन से ज्यादा सुझावों को सरकार की ओर से अपनी रिपोर्ट में शामिल किया था
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेश महामंत्री विपिन प्रकाश शर्मा ने बताया कि सरकार जब भी स्थानांतरण खोले तो नीति से करें क्योंकि तबादले में उद्योग का रूप ले लिया है जिसमें भ्रष्टाचार की बू आती है अगर राज्य सरकार पारदर्शी तरीका अपनाना चाहती है तो नीति बनाकर ही तबादले किए जाने चाहिए सरकार ने अपने घोषणा पत्र में भी स्थानांतरण नीति का जिक्र किया है लोकसभा चुनाव के बाद अगर सरकार स्थानांतरण खोलती है तो तृतीय श्रेणी शिक्षकों सहित सभी राज्यों कर्मचारियों के तबादले नीति के अनुसार तबादले करने से ही पारदर्शिता आएगी
पूर्व की भाजपा सरकार में पूर्व मंत्री और मौजूदा राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने तमाम पहलुओं पर गंभीरता से विचार करके तबादला नीति का ड्राफ्ट बनाया था,लेकिन कभी भी यह नीति पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई और ज्यादातर हर बार राजनीतिक दबाव के चलते डिजायर के आधार पर ही तबादले होते आए. वहीं हर बार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले के शगूफे छिड़ते रहे,लेकिन हर बार इस वर्ग ने खुद को ठगा-सा महसूस किया