धरती के भगवान कहे जाने वाले रेजीडेंड डॉक्टर एक बार फिर से हड़ताल का रास्ता अपना चुके हैं, जिसके चलते प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था फिर से बेपटरी होती हुई नजर आ रही है, दरअसल राजस्थान की राजधानी जयपुर में सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से जुड़े हुए अस्पतालों में रेजीडेंट चिकित्सक पिछले 5 दिनों से हड़ताल पर हैं, इस दौरान रेजीडेंट डॉक्टरों ने ओपीडी ( OPD ) ,आईपीडी ( IPD ) और इमरजेंसी सेवाओं का बहिष्कार कर रखा है
5 दिनों से हड़ताल पर चल रहे रेजीडेंट डॉक्टरों की वार्ता भी हुई थी लेकिन उस वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला था, रेजीडेंट चिकित्सकों का एक दल चिकित्सा विभाग की एसीएस शुभ्रा सिंह से मिला था लेकिन वार्ता विफल होने के कारण हड़ताल जारी रखने का फैसला लिया गया था,
इसी बीच शुक्रवार 12 अप्रैल से जयपुर के अलावा प्रदेश के अन्य सरकारी अस्पतालों में भी रेजीडेंट चिकित्सकों ने दो घंटे कार्य बहिष्कार का ऐलान कर दिया है, और सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि सरकार उनकी मांगे नहीं मानती है तो फिर शनिवार से प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में रेजीडेंट चिकित्सक हड़ताल पर रहेंगे
आपको बता दें की पिछले दिनों कांवटिया अस्पताल के गेट पर एक महिला का प्रवस हुआ था जिसके बाद चिकित्सा विभाग ने अस्पताल में कार्यरत रेजीडेंट चिकित्सकों पर कार्रवाई करते हुए विभाग ने निलंबन की कार्रवाई को अंजाम दिया था, रेजीडेंट चिकित्सकों को निलंबित करने की कार्रवाई के खिलाफ रेजीडेंट चिकित्सकों ने कार्य बहिष्कार करते हुए हड़ताल का रास्ता अपनाया था
मामले को लेकर जयपुर एसोसिएशन ऑफ़ रेजिडेंट डॉक्टर्स (जार्ड ) का कहना है कि कांवटिया अस्पताल में गर्भवती महिला का लेबर रूम के बाहर अस्पताल परिसर में प्रसव होने के प्रकरण में निर्दोष पीजी छात्रों के खिलाफ एक तरफा कार्रवाई की गई है उस से सभी पीजी छात्र बहुत हतोत्साहित हैं और कार्य पर जाने पर डर महसूस कर रहे हैं, सबको लग रहा है कि उन्हें कभी भी किसी भी मामले में झूठा उलझाकर सस्पेंड किया जा सकता है चाहे गलती किसी की भी हो
जार्ड का कहना है कि इस प्रकरण में पीजी छात्रों के ऊपर कोई भी प्रोफेसर गाइनेकोलॉजिस्ट मौजूद नहीं था, प्रकरण में जब प्रसूता को प्रसव पीड़ा शुरू हुई और पीजी छात्रों को पता चला तब उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसके लिए ट्रॉली भेजी और लेबर रूम के अंदर लिया और नियमानुसार उसका इलाज छात्रों ने अपनी क्षमता के आधार पर प्रसव पूर्ण करवाया , लेकिन जिस प्रकार इस प्रकरण में केवल तीन पीजी छात्रों को निलंबित किया गया है वह किसी भी तरीके से सही नहीं है इससे सभी रेजिडेंट में रोष व्याप्त है
आपको बता दें कि कांवटिया अस्पताल में गर्भवती महिला का खुले में प्रसव होने के प्रकरण में दोषी पाए गए तीन रेजीडेंट चिकित्सकों डॉ. कुसुम सैनी, डॉ. नेहा राजावत एवं डॉ. मनोज को चिकित्सा विभाग की ओर से निलंबित कर दिया गया था, साथ ही राज्य सरकार ने लापरवाही के लिए जिम्मेदार अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र सिंह तंवर को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया था
एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े सभी अस्पतालों में रेजिडेंट हड़ताल पर हैं, जनाना अस्पताल, गणगौरी अस्पताल, कांवटिया अस्पताल, महिला चिकित्सालय, जेके लोन अस्पताल में हड़ताल के चलते चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है, ऐसे में इन अस्पतालों में भी मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है, मामले को लेकर सवाई मानसिंह अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर अशोक शर्मा का कहना है कि रेजीडेंट चिकित्सकों की हड़ताल के बाद व्यवस्था बनाने के लिए अतिरिक्त चिकित्सकों को SMS अस्पताल में लगाया गया है इसके साथ ही अस्पताल में कार्यरत मेडिकल ऑफिसर्स को भी ओपीडी और एमरजेंसी सेवाओं में लगाया गया है