हर मां-बाप का सपना होता है की वो अपने बच्चों का विवाह शुभ मुहूर्त में करें, ताकि जिंदगीभर वो खुशियों भरा जीवन जी सकें, और इसके लिए माता पिता हमेशा श्रेष्ठ मुहूर्त की तलाश में रहते हैं, और हर साल मई और जून में ऐसे कई श्रेष्ठ मुहूर्त रहते हैं जब हर गली-मोहल्ले में शहनाई की गूंज सुनाई देती है, लेकिन इस साल मई और जून में ये शहनाई की गूंज सुनाई नहीं देगी
हर साल की अगर बात की जाए तो मई और जून में शादियों के बहुत से मुहूर्त होते हैं, लेकिन इस बार कुछ ऐसा संयोग बन रहा है कि मई और जून में कोई शुभ मुहूर्त नहीं निकल रहा है, जिसकी वजह है गुरु व शुक्र तारा अस्त होने से मई और जून में एक भी विवाह मुहूर्त नहीं है, जून के बाद चातुर्मास शुरू होने जा रहा है जिसमें भी विवाह का कोई शुभ मुहूर्त नहीं होता है,
चातुर्मास की अगर बात की जाए तो इस अवधि में मात्र दो दिन आखातीज और देवउठनी एकादशी पर सावों का अबूझ मुहूर्त होने से शादियां हो सकेंगी, गौरतलब है कि वैशाख कृष्णा चतुर्थी 28 अप्रैल से आषाढ़ कृष्णा अमावस्या 5 जुलाई तक शुक्र का तारा अस्त रहेगा
वैशाख कृष्णा चतुर्दशी 7 मई से ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी 31 मई को गुरु का तारा अस्त रहेगा, गुरु व शुक्र का तारा अस्त होने से विवाह समेत मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी, लेकिन वैशाख शुक्ला तृतीया आखातीज 10 मई को अबूझ मुहूर्त होने से विवाह करने में कोई दोष नहीं रहेगा, ज्योतिषियों की माने तो करीब 24 साल बाद ऐसा योग बना है जब मई और जून में शुक्र के अस्त होने से विवाह नहीं होंगे
यहां बात कर लेते हैं देवउठनी एकादशी पर शुभ मुहूर्त की तो देव शयनी एकादशी अर्थात आषाढ़ शुक्ला एकादशी 17 जुलाई से देव उठनी एकादशी अर्थात कार्तिक शुक्ला एकादशी 12 नवंबर तक चार माह देव-शयन काल होने से विवाह सहित मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी, ऐसे में अप्रैल से लेकर नवंबर के बीच आखातीज और देवउठनी एकादशी पर विवाह के अबूझ मुहूर्त रहेंगे
ज्योतिष शास्त्र के तहत हिंदू धर्म में विवाह से पहले कुंडली मिलान, गुण दोष मिलान करना बहुत जरुरी माना जाता है, इसके अलावा गुरु और शुक्र को विवाह का कारक ग्रह माना जाता है, यदि आकाश मंडल में गुरु और शुक्र ग्रह उदितमान हो तभी विवाह के शुभ मुहूर्त होते हैं, यदि ये ग्रह अस्त हो तो विवाह के लिए मुहूर्त नहीं होता, दोनों ग्रह के अस्त होने से मई-जून में विवाह के फेरे नहीं लिए जा सकेंगे
10 मई को अक्षय तृतीया
16 मई को जानकी नवमी
23 मई को पीपल पूर्णिमा
16 जून को गंगा दशमी