विश्व पर्यटन में अपनी अनूठी पहचान कायम किए हुए केवला देव राष्ट्रीय उद्यान न केवल प्रकृति के प्रेमियों के लिए, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 350 से ज्यादा बाहर से आये हुए पक्षियों के घर केवलादेव में हर साल सैंकड़ों की तादाद में देशी- विदेशी पर्यटक पक्षियों के साथ वन्यजीवों की अटखेलियां देखने के लिए आते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए केवलादेव प्रशासन के द्वारा पर्यटकों को सुख-सुविधाओं के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी प्रतिबद्ध होकर काम किया जा रहा है।
इस बारे में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के उप वन संरक्षक मानस सिंह ने कहा कि पर्यटकों के लिए उद्यान में पूरी तरह से मैनुअल रिक्शा पर निषेध है और इसकी जगह ई- रिक्शा की शुरुआत की गयी है। उन्होंने बताया कि अब तक 90 से ज्यादा ई- रिक्शों का पंजीकरण किया जा चुका है। ई- रिक्शा के जरिये पर्यटक बेहद कम समय में उद्यान में घूम पाएंगे। जिससे रिक्शा चालकों को भी किसी तरह की दुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ ही मैनुअल रिक्शा को फॉसिल -फ्यूल फ्री ई- रिक्शा से बदला जाएगा, जो कि पर्यावरण संरक्षण के नजरिये से भी शानदार साबित होगा। उन्होंने आगे कहा कि केवलादेव प्रशासन द्वारा शोर से फ्री और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण संरक्षण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इसी दिशा में लगातार नित नए नवाचार कर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को संरक्षित किया जा रहा है ।
वहीं केवलादेव घूमने आये इंग्लैंड की पर्यटक बेंका ने बताया कि वो यहाँ के पक्षियों की अठखेलियां एवं हरियाली देखकर रोमांचित है । उन्होंने कहा कि उद्यान में ई- रिक्शा से घूमना, उनके लिए किसी रोमांच से कम नहीं है। साथ ही उन्होंने उद्यान प्रशासन की तारीफ़ करते हुए कहा कि यहां की व्यवस्थाएं इंग्लैंड से बिलकुल अलग है, इसलिए उन्हें यहाँ वन्य जीवन को जानने के साथ बहुत कुछ सीखने को भी मिल रहा है।