राज्यपाल कलराज मिश्र ने शुक्रवार को बिहार स्थापना दिवस पर राजभवन में बिहार के स्थानीय लोगों से मुलाकात कर उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी, उन्होंने कहा कि गौरवमय इतिहास और समृद्ध संस्कृति का प्रदेश बिहार भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है, उन्होंने बिहार के सांस्कृतिक इतिहास से प्रेरणा लेते हुए समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए कार्य करने का आह्वान किया
राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजभवन में बिहार राज्य स्थापना दिवस पर संबोधित करते हुए मगध साम्राज्य से लेकर गुप्त वंश के साथ बिहार के आधुनिक इतिहास की चर्चा की तथा कहा कि प्राचीन भारतीय शिक्षा का भी बिहार प्रमुख केंद्र रहा है, यही नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय हुए हैं, उन्होंने चाणक्य और उनके अर्थशास्त्र के साथ ही बिहार से जुड़ी कला संस्कृति को भी भारत की अनुपम धरोहर बताया, उन्होंने कहा कि बिहार देश में सभी क्रांतियों का अगुआ रहा है, सम्राट चन्द्रगुप्त एवं सम्राट अशोक की यह गौरवशाली धरा रही है तो महात्मा बुद्ध के आदर्शों का यही से विश्वभर में प्रसार हुआ
राज्यपाल ने एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत राज्यों की परंपराओं, तीज, त्योंहार, रिवाजों को सहेजते हुए आंतरिक एकता की संस्कृति के विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भौगोलिक विविधता के बावजूद भावात्मक एकता ही राष्ट्र को आपस में जोड़ता है, यही भारत की शक्ति है, उन्होंने संविधान को गीता, बाइबल, कुरान बताते हुए कहा कि इसमें निहित आदर्शों को अपनाते हुए राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए सब मिलकर कार्य करें
इससे पहले राज्य के वित्त सचिव के. के. पाठक ने बिहार के इतिहास और संस्कृति के साथ विकास से जुड़ी परंपराओं के बारे में अपने विचार रखते हुए राजभवन में बिहार दिवस मनाने की पहल को महत्वपूर्ण बताया, राजभवन में इस अवसर पर शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विपिन पांडेय, शंकरा समूह के अध्यक्ष संत कुमार चौधरी सहित बड़ी संख्या में बिहार के स्थानीय लोग उपस्थित रहे, पूर्व में मैथिली में बिहार का अभिनंदन गीत प्रस्तुत किया गया, इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव गौरव गोयल और प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्द राम जायसवाल भी उपस्थित रहे