जयपुर (संदीप अग्रवाल): गर्मी की छुट्टियों में जहां आम आदमी एक अदद कन्फर्म रेल टिकट (CONFORM RAIL TICKET) के लिए परेशान रहता है वहीं दलालों का नेटवर्क बड़े पैमाने पर रेल टिकटों की कालाबाजारी कर ग्राहकों की जेब पर डाका डाल रहे है। कुछ दलाल तो इतने प्रभावशाली है जिन पर आरपीएफ भी कार्रवाई करने से कताराती है। कई बार दलालों को कालाबाजारी (BLACK MARKETING) करते हुए पकड़ा भी जाता है, किंतु कानूनी सख्ती के अभाव में वे तुरंत छुट जाते है और वापस इसी धंधे में लिप्त हो जाते है। दलाल ग्राहकों से 200 से 2000 तक एक पैसेंजर की कन्फर्म टिकट देने के वसूलते है।
भारत में वैसे तो रेल सेवा कई वर्षो से जारी है। पहले आरक्षण (RESERVATION) जैसी कोई सुविधा नहीं हुआ करती थी। लोग बस सीधे रेल्वे स्टेशन जाते और काउंटर से टिकट लेकर ट्रेन मं सफर करते थे। 1986 में भारतीय रेलवे में कम्प्यूटरीकृत यात्री आरक्षण प्रणाली (COMPUTERIZED PASSENGER RAILWAY RESERVATION SYSTEM) शुरू की गई थी। जिसके बाद भी यात्रियों को टिकट कन्फर्म नहीं मिलते थे। समस्या को बढ़ता देख रेलवे ने सन् 1997 में तत्काल टिकट बुकिंग सेवा की शुरूआत की थी। शुरूआती दिनों में एसी और नॉन एसी दोनो ही कोच की तत्काल टिकट की बुकिंग का समय एक ही यानी सुबह 11 बजे का था। बाद मे रेलवे ने सुविधा बढाने के लिए 2010 में तत्काल बुकिंग के समय को बदला और एसी बुकिंग 10 बजे और नॉन एसी का समय 11 बजे किया गया। तत्काल टिकट को यात्रा करने से 24 घंटे पहले बुक करना होता है।
प्रत्येक तत्काल PNR के तहत अधिकतम चार यात्रियों के लिए बुकिंग की जा सकती है। यात्रियों की सुविधा के लिए शुरू की गई तत्काल सेवा में भी बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। राजधानी जयपुर समेत देश के कई शहरों में आईआरसीटीसी की वेबसाइट को हैक कर दलाल लाखों रुपये कमा रहे हैं, जबकि रेलवे स्टेशन के बुकिंग काउंटर पर घंटों लाइन में लगे लोगों को परेशानी झेलने के बाद भी टिकट नहीं मिल पाता। ऐसा नहीं है कि इस बात की खबर रेल मंत्रालय या संबंधित विभाग को नहीं है, बावजूद रेल टिकटों की कालाबाजारी का खेल बदस्तुर जारी है।
एटम कमांडो और सॉफ्टवैली नामक एक सॉफ्टवेयर की मदद से दलाल आईआरसीटीसी (IRCTC) की वेबसाइट को हैक कर लेते है। इस तेज रफ्तार सॉफ्टवेयर से अधिकतम 10 सेकेंड में टिकट बुक हो जाते है, जबकि आईआरसीटीसी के सॉफ्टवेयर से रेल टिकट को बुक कराने में कम से कम दो से तीन मिनट का समय लग जाता है। रेलवे में तत्काल के टिकट सुबह 8 बजे से बुक होते हैं। जब तक आप अपने कंप्यूटर पर अपना नाम, अड्रेस और कहां से कहां जाना है, टाइप करते है तब तक तत्काल के लगभग सभी टिकट बुक हो चुके होते है। क्योंकि काउंटर खुलने से पहले ही ये शातिर दलाल कंप्यूटर पर पहले से ही यात्री विवरण फीड कर लेते हैं और जैसे ही विंडो खुलती है, वह इंटर मारकर तत्काल कोटे की टिकट पर कब्जा कर लेते हैं।
इस हाईस्पीड सॉफ्टवेयर की मदद से 1 मिनट में ही 10 टिकट बुक हो जाते हैं। टिकट की दलाली करने वाले बड़े दलाल इसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके धड़ल्ले से तत्काल कोटे की टिकटों की कालाबाजारी कर रहे हैं। खासकर इस भीषण गर्मी (EXTREME HEAT) में एसी क्लास की टिकटों पर लंबा खेल चल रहा है। दलाल रोज नए-नए अत्याधुनिक पैंतरों के साथ मैदान में उतर रहे हैं, जबकि रेलवे उन पर अंकुश लगाने की प्रणाली बनाना तो दूर, फिलहाल उस दिशा में सोच भी नहीं पा रहा है। आम आदमी जहां आधी रात से ही तत्काल कोटे की टिकटों के लिए रेलवे आरक्षण केंद्र के बाहर लाइन लगाए परेशान रहता हैं, वहीं रेल टिकटों के दलाल सुबह आठ बजे नेटवर्क ओपन होते ही महज चंद सेकेंडों में तत्काल टिकटों (CURRENT TICKET) पर कब्जा कर लेते हैं।
दलालों के इसी खेल की वजह से आम आदमी जब तक आईडी प्रूफ और फार्म काउंटर पर देता है, तब तक तत्काल के टिकट बुक हो जाते हैं। इस सॉफ्टवेयर की मदद से राजधानी दिल्ली (DELHI), मुंबई (MUMBAI), जम्मू (JAMMU), देहरादून (DEHRADUN), गुवाहाटी (GUHWATI) और हावड़ा (HOWRAH) के लिए टिकटों की बुकिंग होती है। आम लोगों को इन जगहों के लिए तत्काल टिकट बहुत मुश्किल मिल पाता है। 4-5 मिनट में ही 30-40 सीटें बुक हो जाती है। बाद में इन्हीं टिकटों को दलाल ऊंचे दामों पर बेचते है।
वैशाली एक्सप्रेस (VIASHALI EXPRESS), गरीब रथ एक्सप्रेस (GAREEBRATH EXPRESS), बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस (BIHAR SAMPRAK KRANTI), हमसफर एक्सप्रेस (HUMSAFAR EXPRESS), स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस (SWATANTRA SENANI EXPRESS), राजधानी एक्सप्रेस (RAJDHANI EXPRESS), अवध असम एक्सप्रेस (AWADH ASAM EXPRESS) आदि ट्रेनों में तत्काल टिकट के लिए मारामारी होती है। जयपुर से मुख्यत: दिल्ली, मुंबई, बिहार, चिन्नई, बेंगलूरू, कोलकाता, जम्मू, गुवाहाटी के लिए तत्काल टिकट की डिमांड ज्यादा होती है। इसी का लाभ उठाकर गड़बड़ी करने वाले यात्रियों से भी मनमानी रकम लेते हैं।
एजेंटों को यह सॉफ्टवेयर अंजान शख्स के जरिए या ऑनलाइन मिलता है। सॉफ्टवेयर के लिए एजेंटों को प्रति महीना एडवांस पे करना पड़ता है। एजेंटों को दो पीएनआर के लिए दो हजार रुपए, चार पीएनआर के लिए तीन हजार रुपए, दस पीएनआर के लिए छह हजार रुपए प्रति माह देना पड़ता है। आईआरसीटीसी एजेंट (IRCTC AGENT) तत्काल टिकट बुकिंग में खेल कर रहे हैं। एजेंट महज 20 से 30 सेकंड में विशेष सॉफ्टवेयर की मदद से तत्काल टिकट बुक कर ले रहे हैं। हालांकि इससे रेलवे को तो कोई नुकसान नहीं होता। पर इसमें लूटते है तत्काल टिकट बुक करने वाले पैसेंजर्स। कंफर्म तत्काल टिकट के लिए एजेंट उनसे एक से दो हजार प्रति यात्री वसूलते हैं। सॉफ्टवेयर की मदद से एजेंट जहां कुछ ही सेकंड में कंफर्म तत्काल टिकट निकाल लेते है। वहीं यदि कोई खुद तत्काल टिकट बुक कराने लगता है, तो डिटेल्स भरते-भरते उसका टिकट वेटिंग में चला जाता है जो कि ऑटो कैंसिल हो जाता है। इस कारण उनके सामने एजेंटों से टिकट बुक कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।