द नगरी न्यूज़ डेस्क : किसी भी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता शिक्षा और चिकित्सा होती है, राजस्थान की बीजेपी सरकार के सामने भी ये चुनौती खड़ी नजर आ रही है, कांग्रेस सरकार के दौरान राजस्थान शिक्षा के क्षेत्र में दूसरे पायदान पर था, लेकिन लगातार हो रही शिक्षकों और अधिकारियों की कमी के चलते क्या बीजेपी सरकार इस पायदान पर कायम रह पाती है या फिर ढांचे के सुधारते हुए राजस्थान को पहले पायदान पर ला सकती है ये बड़ी चुनौती है
शिक्षा विभाग में नया सत्र शुरू होने वाला है लेकिन जहां विभाग नामांकन बढ़ाने की प्रयास कर रहा है वही गत सत्र से अब तक 8 लाख नामांकन कम हो गया है जिसकी वजह विद्यालय में शिक्षकों की कमी है जहां विद्यालय में करीब 1 लाख 40 हजार पद खाली है तथा 5 वर्षों से शिक्षकों की पदोन्नति नहीं होने के कारण विषय अध्यापक उपलब्ध नहीं है तृतीय श्रेणी से वरिष्ठ अध्यापक पद की डीसीपी सुप्रीम कोर्ट में स्टे के कारण लंबित चल रही है लेकिन चार सत्र होने के बाद भी विभाग के अधिकारी न्यायालय में अपना पक्ष रखने से बच रहे हैं
गौरतलब है अतिरिक्त विषय स्नातक के कारण यह डीसीपी लंबित है वहीं दूसरी और वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पद हेतु शिक्षा सेवा नियमों में संशोधन हो गया है लेकिन चार सत्र से डीपीसी लम्बित होने से स्कूलों में पढ़ने हेतु व्याख्याता उपलब्ध नहीं है,वही विशेष विद्यालय में व्याख्याता विशेष शिक्षक का नया कैडर बना दिया गया है लेकिन विभाग के पदोन्नति अब तक नहीं हो पाई है
व्याख्याता से वाइस प्रिंसिपल तथा वाइस प्रिंसिपल से प्रिंसिपल की पदोन्नति लंबित चल रही है , विभाग में करीब 7 हजार प्रिंसिपल के तथा 11 हजार 900 वाइस प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हैं, अगर बात करें तो विभाग के मॉनिटरिंग करने हेतु जिला शिक्षा अधिकारी के 60 प्रतिशत करीब 320 पद खाली चल रहे हैं ऐसे में विभाग में नीचे से लेकर ऊपर तक शिक्षकों का अभाव होने से इससे प्रभावी शिक्षण नहीं हो पा रहा है और ना ही मॉनिटरिंग हो पा रही है, शिक्षा का नया सत्र चालू होने वाला है ऐसे में सरकार को यह चाहिए की शिक्षा विभाग में पदोन्नति हेतु विशेष अभियान चलाया जाए तथा नवक्रमोन्नत विद्यालयों में व्याख्याता के नव पद सृजित कर शिक्षा विभाग पर विशेष ध्यान दिया जाए
राजस्थान प्राथमिक एवं प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा का कहना है कि मुख्य सचिव के बार-बार आदेश होने के बाद भी विभाग में पदोन्नति की प्रक्रिया में कोई गति नहीं है तथा लगभग 20 हजार शिक्षक अधिशेष होकर दो साल से विद्यालयों में पदस्थापन का इंतजार कर रहे है, वही करीब 65 हजार शिक्षकों को पदोन्नति का इंतजार है तथा शिक्षक बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत हो रहे हैं ऐसे में अगर सरकार शिक्षा विभाग में पदोन्नति का अभियान चला कर कार्रवाई पूर्ण कर लेती है तो तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले तथा नई भर्ती का भी रास्ता खुल सकता है, विभाग के अधिकारी से वार्ता करने पर शिक्षकों से जिला शिक्षा अधिकारी पद की पदोन्नतियों पर कोर्ट का हवाला देते हैं ऐसे संगठन का मानना है कि सरकार को कोर्ट में विशेष पैरवी करनी चाहिए तथा तब तक सभी पदों पर शिक्षा सेवा नियमों-2021 के नियम -35 के तहत (अर्जेंट अस्थाई नियुक्ति) तदर्थ पदोन्नति की जानी चाहिए जिससे शिक्षकों को पदोन्नति तथा बच्चों को विषय शिक्षक तथा विभाग को मानेटरिग करने वाले अधिकारी मिल सकेंगे इससे विभाग पर कोई आर्थिक भार भी नहीं पड़ेगा। शिक्षण व्यवस्था सुचारू ढंग से चल पायेगी